महोली में सिलिकोसिस से पीड़ित दलितों की कोई सुनवाई नहीं: मृत्यु के कगार पर खड़ा है रामफल
करौली 26 नवंबर। सतत विकास संस्थान द्वारा सबको स्वास्थ्य अभियान के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रम में आज पता लगा कि महोली गांव के राम फल बेरवा पुत्र बुद्धू बेरवा कि 5 महीने पहले हुई जांच के बावजूद अभी तक सिलिकोसिस का प्रमाण पत्र नहीं मिला है।रामफल की जांच महोली गांव में लगे कैंप में जुलाई माह में हुई थी और डॉक्टर ने बताया था कि उसे सिलिकोसिस है और उसे बोर्ड से जल्दी ही प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। अब रामफल की स्थिति है कि वह दो-चार दिन का मेहमान है और प्रमाण पत्र ना मिलने से उसे व उसके परिवार को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है।
रामफल ने बताया कि वह 200000 कर्ज से पीड़ित है अगर उसे मदद नहीं मिली तो उसे मजबूरन यह कर्ज अपने बच्चों के माथे छोड़कर जाना पड़ेगा ।उसके तीन नाबालिग बच्चे हैं जो अभी से मजदूरी कर घर का खर्चा चलाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार के तथा सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद करौली में सिलिकोसिस मरीजों की स्थिति बहुत खराब है।
जानकारी मिली है कि जो लोग दलालों को पैसे दे देते हैं उनका काम होता है बाकी लोग इसी प्रकार मर जाते हैं ।महोली गांव में तकरीबन 10 लोगों की मृत्यु सिलिकोसिस से हो चुकी है लेकिन अभी तक एक भी व्यक्ति को सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई है और सभी के बच्चे बाल मजदूरी कर अपना पेट पालन कर रहे हैं ।
सतत विकास संस्थान के निदेशक अरुण जिंदल ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर मांग की है कि ऐसे परिवारों को तुरंत प्रमाण पत्र आवश्यक मदद तथा अन्य सरकारी सुविधाएं मुहैया कराई जाए।
फोटो: बिस्तर पर राम फल बेरवा
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डांग क्षेत्र के ग्रामीण आज भी जीवन यापन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित
करौली 11 जुलाई। करौली का डांग क्षेत्र एवं डांग के निवासी आजादी के 70 वर्ष वाद भी जीवन यापन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परेशान हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का कोई भी लाभ उन तक नहीं पहुँच रहा है। सतत विकास संस्था के निदेशक अरुण जिंदल ने बताया कि मंडरायल पंचायत समिति की राहिर ग्राम पंचायत के आमरेकी ग्वाडी गाँव मे लगाए समस्या समाधान शिविर मे उक्त विचार ग्रामीणों ने व्यक्त किए। डांग के विकास के लिए 1997 मे करौली जिले को सवाईमाधोपुर से अलग कर नया जिला बनाया गया उसके बाद मंदरायल क्षेत्र को सपोटरा से अलग कर नई पंचायत समिति बनाया गया परंतु ग्रामीणों की पीने के पानी, बिजली व सड़क जैसी सुविधाएं आज भी ग्रामों मे नहीं पहुंची है।
नजदीकी ग्राम गजसिंघपुरा जहां 60 घर की बस्ती है तथा 6 से 14 वर्ष के 200 बच्चे निवास कराते है, परंतु आजादी के 70 वर्ष पूरे होने व शिक्षा का अधिकार कानून देश मे पारित होने के बाद भी वहाँ अभी तक प्राथमिक विध्यालय नहीं है, गाँव के कुछ बच्चे आमरे की ग्वाडी के विध्यालय मे पढ़ने आते है उनका भी रास्ते मे गहरे नाले होने व उनमे पानी आ जाने से बारिश मे आना बंद हो जाता है। आमरे की ग्वाड़ी ग्राम जहां 200 परिवार रहते हैं, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, ग्रामीणों को 1 किलो मीटर दूर गहरे नाले से मिट्टी वाला पानी छान कर लाना पड़ता है। महिलाओं व लड़कियों का समय पानी लाने मे ही व्यतीत हो जाता है। गाँव की लड़कियां इसी कारण से विध्यालय पढ़ने नहीं जा पाती हैं। ग्राम मेन स्थित एक मात्र हेंडपंप खराव है।
आमरे की ग्वाड़ी ग्राम में जून व जुलाई माह का राष्ट्रिय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत मिलने वाला गेहूं अभी तक नहीं मिला है। राशन डीलर के यहाँ ग्रामीण जाते हैं और गेहूं नहीं आने की सूचना लेकर वापस चले आते है। राशन डीलर का कहना है की उनके द्वारा जिला प्रशाषन तक इसकी सूचना दे डी गई है। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही मिड डे मील योजना का गेहूं भी विध्यालय में अप्रेल माह से नहीं आ रहा है। इससे विद्यालय मे दोपहर का खाना बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। खाना नहीं मिलने के कारण विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों की संख्या भी कम हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि आमरे की ग्वाडी ग्राम मे सभी ग्रामीणों को पिछले कई वर्षों से कार्य नहीं दिया गया है। ग्रामीणों द्वारा बार बार पंचायत से कार्य शिरु करने की कहने पर कार्य जिला परिषद से आने की बात कह कर उन्हे ताल दिया जाता है।
फटे व् पुराने जॉब कार्ड की जगह नए जॉब कार्ड जारी करने की मांग
करौली 4 जुलाई. मंडरायल पंचायत समिति की ग्राम पंचायत लान्गरा, बुगडार, भांकरी व् गढ़ी का गाँव के ग्रामीणों को 2010 में ख़त्म हो गए नरेगा के जॉब कार्ड की जगह नए जॉब कार्ड नहीं बनने से भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है. उन्हें नरेगा के अंतर्गत कार्य नहीं मिल रहा है और जॉब कार्ड फट जाने तथा पुराने पड जाने के कारण न ही उनका नंबर पढ़ने में आ रहा है. मजदूरी के अलावा सरकार के अन्य योजनाओं जिनमे 100 दिन पूरे होने पर BFT के प्रशिक्षण, श्रम विभाग की योजनओं आदि का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
नरेगा योजना पर कार्य कर रही सतत विकास संस्था के निदेशक ने बताया कि उनके द्वारा इन ग्राम पंचायतो के भ्रमण के बाद पता चला है कि उनके पंचायत मुख्यालयों पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित गुरुवार को रोजगार दिवस भी नहीं मनाया जाता है, जिससे गरीब मजदूरी करने वाले ग्रामीणों को नरेगा के तहत मजदूरी का कार्य नहीं मिल पाता है न ही उन्हें जॉब कार्ड के अभाव में समय पर मजदूरी व् अन्य लाभ मिल पाते है. जिंदल ने बताया कि कमोवेश ऐसी स्थिति पूरे जिले में है, जिला कार्यक्रम समन्वयक अथवा अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा नरेगा के कानून के अंतर्गत ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओ की व्यवस्था ब्लोक, अथवा ग्राम पंचायत से नहीं करवाई जा रही है.
जिंदल ने बताया कि इस सम्बन्ध में ग्रामीणों ने अपनी समस्या कई बार लिखित में जिला कार्यालयों, ब्लाक कार्यालयों, तथा ग्राम पंचायत कार्यालयों तक पहुंचाई है, परन्तु उनकी समस्या का अभी तक कोई समाधन नहीं निकला है. ग्रामीणों ने सरकार के पी जी पोर्टल संपर्क पर भी अपनी समस्याओं को डाला है, परन्तु विभाग द्वारा गोल मोल जबाब देकर समस्याओं का समाधान नहीं करवाया जा रहा है. विकास अधिकारियों का कहना है कि जॉब कार्ड के लिए जिला परिषद् को डिमांड दे रखी है, परन्तु जिला परिषद द्वारा अभी तक उन्हें जॉब कार्ड उपलब्ध नहीं करवाए है. जैसे ही जॉब कार्ड उपलब्ध करवाए जाएँगे ग्रामीणों के नए जॉब कार्ड बना दिए जाएँगे.
बालिका विवाह के दु:प्रभावों को बताने तथा बालिका विवाह की रोकथाम के लिए 10000 युवाओं को तैयार किया जाएगा
करौली 02 अक्तूबर। बाल विवाह के दुष्परिणामों से अनभिज्ञ लोगों के भारत में आज भी 40 लाख बाल विवाह होते हैं, जो कि विश्व भर में होने वाले बाल विवाहों का सबसे अधिक 35% प्रतिशत है। भारत में होने वाले विवाहों का 47% तथा राजस्थान में होने वाले विवाहों मे 56% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती है। इससे बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य व महिला सशक्तिकरण के प्रयासों का कोई भी असर नहीं हो रहा है। सतत विकास संस्थान द्वारा इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 10000 किशोरों व युवाओं के मध्य जागरूकता के माध्यम से बालिका विवाह के दु:प्रभावों को बताया जाएगा तथा बालिका विवाह की रोकथाम के लिए युवाओं को तैयार किया जाएगा।
सतत विकास संस्था के निदेशक अरुण जिंदल ने बताया कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया में बाल विवाह को महिला विकास में एक बड़ी समस्या मानते हुए 11 अक्तूबर को विभिन्न प्रयास किया जा रहे हैं राजस्थान मे सतत विकास संस्थान द्वारा शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से किशोरों तथा युवाओं के माध्यम से राज्य मे अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से सरकार, राजनैतिक व्यक्तियों, स्वेच्छिक संस्थाओं, मीडिया तथा स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं को इस सामाजिक अभिशाप को राजस्थान से मिटाने के लिए शामिल किया जाएगा।
जिंदल ने बताया कि बाल विवाह के मामले मे तो करौली जिले की स्थिति और भी भयावह है। एक अनुमान के मुताबिक करौली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों मे 75% से अधिक लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम तथा 65% लड़कों का विवाह 21 वर्ष से कम उम्र में हो जाता है। जिंदल ने सरकारी विभागों, राजनैतिक व्यक्तियों, स्वेच्छिक संस्थाओं, मीडिया तथा स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं से अभियान मे शामिल होने कि अपील की है।
सतत विकास संस्थान द्वारा आयोजित किए जा रहे “बाल विवाह रोकें” अभियान के तहत 3 अक्तूबर को सूर्योदय पब्लिक स्कूल, विवेक विहार, करौली में प्रातः 7 बजे, कांकोरिया सेकंडरी स्कूल, पांडे का कुआं, करौली में प्रातः 11 बजे तथा अमन भारती स्कूल, बड़ के पास, हिंडोन रोड, करौली में दोपहर 12 बजे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
करौली 02 अक्तूबर। बाल विवाह के दुष्परिणामों से अनभिज्ञ लोगों के भारत में आज भी 40 लाख बाल विवाह होते हैं, जो कि विश्व भर में होने वाले बाल विवाहों का सबसे अधिक 35% प्रतिशत है। भारत में होने वाले विवाहों का 47% तथा राजस्थान में होने वाले विवाहों मे 56% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती है। इससे बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य व महिला सशक्तिकरण के प्रयासों का कोई भी असर नहीं हो रहा है। सतत विकास संस्थान द्वारा इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर 10000 किशोरों व युवाओं के मध्य जागरूकता के माध्यम से बालिका विवाह के दु:प्रभावों को बताया जाएगा तथा बालिका विवाह की रोकथाम के लिए युवाओं को तैयार किया जाएगा।
सतत विकास संस्था के निदेशक अरुण जिंदल ने बताया कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया में बाल विवाह को महिला विकास में एक बड़ी समस्या मानते हुए 11 अक्तूबर को विभिन्न प्रयास किया जा रहे हैं राजस्थान मे सतत विकास संस्थान द्वारा शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से किशोरों तथा युवाओं के माध्यम से राज्य मे अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से सरकार, राजनैतिक व्यक्तियों, स्वेच्छिक संस्थाओं, मीडिया तथा स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं को इस सामाजिक अभिशाप को राजस्थान से मिटाने के लिए शामिल किया जाएगा।
जिंदल ने बताया कि बाल विवाह के मामले मे तो करौली जिले की स्थिति और भी भयावह है। एक अनुमान के मुताबिक करौली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों मे 75% से अधिक लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम तथा 65% लड़कों का विवाह 21 वर्ष से कम उम्र में हो जाता है। जिंदल ने सरकारी विभागों, राजनैतिक व्यक्तियों, स्वेच्छिक संस्थाओं, मीडिया तथा स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं से अभियान मे शामिल होने कि अपील की है।
सतत विकास संस्थान द्वारा आयोजित किए जा रहे “बाल विवाह रोकें” अभियान के तहत 3 अक्तूबर को सूर्योदय पब्लिक स्कूल, विवेक विहार, करौली में प्रातः 7 बजे, कांकोरिया सेकंडरी स्कूल, पांडे का कुआं, करौली में प्रातः 11 बजे तथा अमन भारती स्कूल, बड़ के पास, हिंडोन रोड, करौली में दोपहर 12 बजे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।